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अयोध्‍या एयरपोर्ट, रेलवे स्‍टेशन और बस अड्डे से कैसे पहुंचे राम मंदिर, कितना किराया? जानिए सबकुछ

अयोध्‍या एयरपोर्ट से राम मंदिर करीब सात किलोमीटर है। रेलवे स्‍टेशन से एक किमी और बस अड्डे से तीन किलोमीटर की दूरी है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए दिल्‍ली से इलेक्ट्रिक कार भी अयोध्‍या पहुंच चुकी हैं। इन्‍हें ऐप के जरिये बुक किया जा सकता है।

धर्मेंद्र कुमार सिंह, अयोध्‍या: भव्‍य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। देश भर से श्रद्धालु अपने राम का दर्शन करने लगातार अयोध्‍या पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में होंगे। पूरी दुनिया भगवान राम को अपने मंदिर में स्थापित होते हुए देखेगी। आइए आपको बताते हैं कि दूसरे राज्‍यों से अयोध्‍या आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक रेलवे स्‍टेशन, एयरपोर्ट और बस अड्डे से कैसे राम मंदिर पहुंच सकते हैं। इसके लिए उन्‍हें कितना किराया देना पड़ेगा?

अयोध्या में रेल यात्रा, रोडवेज बस के साथ ही हवाई जहाज से आया जा सकता है। जब आप अयोध्‍या धाम रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे तो आपको ज्‍यादा दूर तक नहीं जाना है। ई-रिक्‍शा, टेंपो या रिक्‍शे से मात्र एक किलोमीटर की दूरी तय करनी है। अयोध्या रेलवे स्टेशन से राम मंदिर मात्र एक किलोमीटर दूर है। ई रिक्‍शा से इसका किराया सिर्फ 10 रुपया है। राम मंदिर आने के लिए स्टेशन के पास रामपथ स्थित टेढ़ी बाजार होकर जाना पड़ता है। आपको ट्रैवल एजेंसी और अन्‍य लग्‍जरी वाहनों की भी सुविधा मिलेगी लेकिन इसका किराया ज्‍यादा होगा। श्रद्धालुओं को रामपथ पर इलेक्ट्रिक बस भी मिल जाएगी जो मंदिर के सामने से गुजरेगी।

बस अड्डे से 3 Km और एयरपोर्ट से 7 km दूर

अयोध्या बस अड्डे से राम मंदिर की दूरी तीन किलोमीटर है। पर्यटकों को लता मंगेशकर चौराहे से होते हुए जाना होगा। ऑटो और ई रिक्‍शा वाले 20 रुपये किराया लेंगे। अयोध्‍या एयरपोर्ट से राम मंदिर करीब सात किलोमीटर दूर है। ऑटो से इतनी दूरी तय करने के लिए आपको 80 से 100 रुपये खर्च करने होंगे। इसके अलावा इलेक्ट्रिक कार बुक करके भी राम मंदिर जा सकते हैं। दिल्‍ली से टाटा कंपनी की 12 इलेक्ट्रिक कार अयोध्‍या पहुंच चुकी हैं। इन कारों को ईवी प्लस एप के जरिये बुक किया जा सकेगा। महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट, अयोध्या कैंट स्टेशन और अयोध्या धाम रेलवे जंक्शन पर ये गाड़ियां मिलेगी। इन कारों को बुक कर पूरे अयोध्‍या का भ्रमण किया जा सकता है।

इलेक्ट्रिक कारों का किराया

  • 10 किलोमीटर चलने पर 250 रुपये।
  • 20 किलोमीटर पर 400 रुपये।
  • इसे 6 घंटे के लिए बुक करते हैं तो 1500 रुपये।
  • 8 घंटे या 80 किलोमीटर चलती है तो 2000 रुपए चुकाने पड़ेंगे

बता दें कि 22 जनवरी के पहले 12 इलेक्ट्रिक कार अयोध्या में और आएंगी। अयोध्या को जीरो कार्बन एमिशन युक्त ई व्हीकल परिवहन सुविधा से लैस किया जा रहा। अयोध्या विकास प्राधिकारण की तरफ से राम पथ से गुप्तारघाट, नयाघाट, भरतकुंड के लिए 38 इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना है।

Ram Mandir History: 1528 से 2020 तक…राम मंदिर का पूरा इतिहास जानिए

Ram Mandir ka itihas सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर (Ram Mandir Verdict) के पक्ष में फैसला सुनाया था। हिंदू पक्ष के मुताबिक 1528 में मुगल बादशाह बाबर (Babar) के सिपहसालार मीर बाकी (Mir Baqi) ने मंदिर गिराकर बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) बनवाई थी।

अयोध्या
राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा। आइए आपको बताते हैं कि इस विवाद की नींव कब पड़ी और अब तक के इतिहास के अहम पड़ाव…

साल 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।

साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।

साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।

साल 1986: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

6 दिसंबर 1992: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।

25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।

5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल।