22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने वाला है। इस समारोह के लिए तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया है, जिनमें से एक मूर्ति को मंदिर में विराजित किया जाएगा। इन मूर्तियों का निर्माण जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने किया है, जो पिछले सात महीनों से अयोध्या में रहकर इस कार्य में जुटे थे।
सत्यनारायण ने बताया कि रामलला की मूर्ति को मकराना से निकले एक रेयर सफेद संगमरमर के पत्थर से तैयार किया गया है, जो करीब 40 साल से उनके पास था और करीब 90 वर्ष पुराना है। उनके बेटे पुनीत पांडेय ने बताया कि इस पत्थर को कई बार मूर्ति बनाने की कोशिश की गई, लेकिन विभिन्न समस्याओं के कारण विफल रही। इसके बाद उन्होंने इसे सुरक्षित रख लिया और अब लगता है कि रामलला की मूर्ति के लिए ही इस पत्थर का उपयोग होना था।
मंदिर प्रबंधन ने देशभर से कलाकारों को बुलाया और तीन अलग-अलग मूर्तिकारों को तीन मूर्तियों के निर्माण के लिए चुना। इनमें से जयपुर के सत्यनारायण पांडेय ने संगमरमर से बनाई जा रही मूर्ति का निर्माण किया है। वहीं दो अन्य मूर्तियां काले पत्थर से बनाई जा रही हैं।
मंदिर प्रबंधन के निर्देशों के आधार पर रामलला की तीन मूर्तियों को तीन अलग-अलग मूर्तिकार तैयार कर रहे हैं, जिनमें साउथ से गणेश बट्ट, अरुण योगीराज, और जयपुर से सत्यनारायण पांडेय शामिल हैं। गर्भगृह में विराजित होने वाली मूर्तियों के साथ-साथ उन्हें मंदिर प्रबंधन करेगा अंतिम निर्णय, जिससे स्पष्ट होगा कि कौन सी मूर्ति मंदिर में स्थापित की जाएगी।