क्या आप प्रेग्नेंट महिला के कानूनी अधिकार के बारे में जानते हैं ? अगर आपके अधिकारों का हनन करने का कोई प्रयास करता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती हैं। जानिए विस्तार से…
- सरकार की योजनाओं के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान महिला को मुफ्त में अनाज देने का भी प्रावधान है। इसके अलावा सरकारी हॉस्पीटल में मुफ्त में रेग्यूलर चेकअप और जरूरी दवाएं मुहैया कराने का भी नियम है ताकि मां और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य की पूरी देखभाल हो सके।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व चिकित्सकीय देखभाल मुहैया कराना है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आशा दीदी या स्वास्थ्य कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया हो जाने के बाद गर्भवती माताओं को कार्ड प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले सभी तरह के जांच मुफ्त में किए जाएंगे और आवश्यक सलाह दी जाएगी। इतना ही नहीं दुर्गम इलाकों में जहां आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां पर घर पर पहुंचकर स्वास्थ्यकर्मी जांच कर सकते हैं।
- भारतीय रेल में भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लोअर सीट और अलग से महिला कोटा का प्रावधान किया गया है।
- कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तर की तरफ से 24 हफ्ते की पेड मैटरनिटी लीव देने का भी नियम है। आपको बता दें कि मैटरनिटी लीव के दौरान किसी महिला को ना तो नौकरी से निकाला जा सकता है और ना ही उनके वेतन को रोका जा सकता है।
- एक और अहम बात की जानकारी देना चाहूंगा कि महिलाओं को उनके मायके से लेकर ससुराल यानि पति के घर में सुरक्षा प्रदान करने के लिए डीवी एक्ट के तहत बहुत सारे प्रावधान किए गए हैं। साल 2005 में प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम डोमेस्टिक वॉयलेंस यानि कि डीवी एक्ट बनाया गया। लीव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी डीवी एक्ट का लाभ मिल सकेगा।
- यौन प्रताड़ना के खिलाफ महिलाओं को आईपीसी की धाराओं में रेप से लेकर छेड़छाड़ जैसे सभी मामलों में सुरक्षा दी गई है। साल 2013 के एंटी रेप कानून बनने के बाद बड़े पैमाने पर परिवर्तन किए गए। दोषियों के खिलाफ सजा को और सख्त बना दिया गया है।
किसी भी तरह की स्थिति में फंसने या तत्काल मदद पाने के लिए आप 100 नंबर (पुलिस हेल्पलाइन) या 1091 (महिला हेल्पलाइन) नंबर पर कॉल कर सकती हैं।