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प्रदेश की 4 हजार से ज्यादा कॉलेज गर्ल्स और महिलाओं के साथ डीपफेक कांड का बड़ा खुलासा हुआ है। महज 8वीं पास दो शातिर भाई रियल तस्वीरों को अश्लील फोटो में बदलकर उन्हें संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करते थे।

इनके मोबाइल फोन से एक दो नहीं 4 हजार से अधिक महिलाओं के फोटो और चैट के स्क्रीन शॉट मिले हैं। पकड़े जाने से पहले सोशल मीडिया पर 500 से अधिक महिलाओं और लड़कियों के फोटो वायरल कर चुके थे।

Lawminds पड़ताल में सामने आया कि दोनों आरोपी शातिर इतने हैं कि पुलिस को चकमा देने के लिए मृत व्यक्तियों के नाम पर सिम कार्ड लेते और पड़ोसियों के वाईफाई पासवर्ड हैक कर इंटरनेट चलाते थे। पुलिस और साइबर एक्सपर्ट टीम को पकड़ने में 2 साल लग गए।

आरोपी खुद को बड़ा बिजनेसमैन बताकर फेसबुक पर महिलाओं को झांसे में लेते, फर्राटेदार इंग्लिश से इंप्रेस करते और फिर शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करते। जो लड़की ना कहती, उसकी अश्लील फोटो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर देते थे।

सोशल मीडिया पर इन शातिर भाइयों का सॉफ्ट टारगेट कैसे बनती जा रही थीं महिलाएं, पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में…..

सबसे पहले जानिए वह केस, जिसके कारण पकड़ में आया ये कांड हनुमानगढ़ जिले के नोहर थाना इलाके के एक प्रिसिपल ने 22 मार्च 2022 में एक रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें उन्होंने बताया कि अज्ञात व्यक्ति ने उनकी टीचर पत्नी और बेटी का फेक फेसबुक अकाउंट बना रखा है। इस अकाउंट पर दोनों की फोटो को डीपफेक के जरिए अश्लील फोटो में बदलकर उसे परिचित और अन्य लोगों को भेजकर वायरल कर रहा है। इस पर नोहर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। आरोपी के फेसबुक, इंस्टाग्राम और जीमेल अकाउंट की जांच के दौरान ही साइबर सेल को पता चल गया था कि यह कोई शातिर व्यक्ति है, जो परिवार को बदनाम करने के लिए कई फेक अकाउंट बनाकर वारदात को अंजाम दे रहा है। आरोपियों ने केवल इस परिवार को बदनाम करने के लिए मां-बेटी के नाम से 35 फेक फेसबुक अकाउंट, एक इंस्टाग्राम और 13 जीमेल अकाउंट बना रखे थे। जब आरोपियों को पुलिस केस होने की भनक लगी तो वे कुछ महीनों के लिए चुपचाप बैठ गए। सोशल मीडिया पर भी एक्टिव नहीं रहे। इस कारण साइबर टीम को भी आगे कोई लीड नहीं मिली।

वायरल तस्वीरों से प्रभावित परिवार की जीवनशैली हुई तबाह।

इसके बावजूद, जब आरोपी गिरफ्तार नहीं होते, तो पीड़ित परिवार ने पुनः हनुमानगढ़ पुलिस अधीक्षक से मिलकर और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। पीड़ित परिवार ने पुलिस को बताया कि उन्हें इतनी परेशानी हो गई है कि उनके दिल में कई बार सामूहिक आत्महत्या की सोच आई है। उन्होंने एसपी डॉ. राजीव पचार से कठोर कार्रवाई की मांग दोहराई। इस पर एसपी ने साइबर सेल को केस ट्रेस आउट करने के निर्देश दिए।

6 महिलाओं के साथ लाइव चैटिंग में गिरफ्तार

केस की व्यापक जाँच शुरू हुई और साइबर सेल ने आखिरकार दो साल की मेहनत के बाद 7 फरवरी को आरोपी भाइयों को गिरफ्तार किया। जब टीम आरोपियों को उनके घर में पहुंची, तो एक आरोपी अभी भी मोबाइल पर महिलाओं के साथ चैट कर रहा था। पुलिस ने जब मोबाइल की जाँच की, तो आरोपी छह महिलाओं के साथ एक साथ अंग्रेजी में चैट कर रहा था। जाँच से पता चला कि आरोपी ने 3 साल से महिलाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से अपना शिकार बनाया था।

युवता को शारीरिक संबंध के लिए 90 किलोमीटर दूर बुला रहे थे आरोपी

जब साइबर टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया, तब तक आरोपी एक और युवता को अपने जाल में फंसाए हुए थे। युवता आरोपियों के दबाव के कारण हनुमानगढ़ से नोहर, जो करीब 90 किलोमीटर दूर है, उनसे मिलने के लिए आ रही थी। इस युवता के लिए किस्मत अच्छी थी कि उसके पहुंचने से पहले ही पुलिस टीम ने आरोपी भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। जिससे युवता आरोपियों के जाल में फंसने से बच गई।

फेसबुक पर दोस्ती और वॉट्सऐप मैसेंजर से ब्लैकमेलिंग

हनुमानगढ़ साइबर सेल के प्रभारी वाहेगुरु सिंह ने बताया कि आरोपी फेसबुक पर फेक अकाउंट बनाकर महिलाओं को जाल में फंसाते थे और खुद को बड़ा व्यापारी बताते थे। विश्वास में लेकर महिलाओं से मोबाइल नंबर भी ले लेते थे। बाद में उनके फोटोग्राफ चोरी कर उन्हें डीपफेक तकनीक से एडिट कर अश्लील फोटो करते थे। ये तस्वीरें हूबहू असली चेहरे जैसी होती थीं, जिससे इनके जाल में फंसने वाली महिलाएं दबाव में आ जाती थीं। इसके बाद, आरोपियों ने मैसेंजर और वॉट्सऐप पर मैसेज करके ब्लैकमेलिंग की धमकी दी और परिचितों को इन तस्वीरों को भेजने की धमकी दी। आरोपियों ने महिलाओं और लड़कियों के कुछ फोटो उनकी वॉट्सऐप डीपी से भी चुराए थे।

कौन हैं 2 साल तक पुलिस को छकाने वाले आरोपी

दोनों आरोपी योगेश मिश्रा और नितिन उर्फ बबलू मिश्रा आपस में सगे भाई हैं और हनुमानगढ़ जिले के नोहर के निवासी हैं। आरोपी मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं और आईटी के जानकार हैं। योगेश पहले मोबाइल रिपेयरिंग और नितिन कपड़े की दुकान पर काम करता था। आरोपी शायद हो आठवीं कक्षा में पढ़े हों, लेकिन मोबाइल और तकनीक के क्षेत्र में माहिर थे।

पहला सुराग : वाईफाई रेंज के कारण पुलिस की रडार पर आए

दोनों आरोपी फेक आईडी बनाने के लिए हमेशा पब्लिक वाईफाई का उपयोग करते थे। इसके अलावा, वे घरों के वाईफाई को हैक कर उससे इंटरनेट चलाते थे। इसलिए, शुरुआती पुलिस जांच में उन्हें चुनौती प्राप्त हुई। छह महीने पहले, आरोपियों ने अपने पड़ोसी के वाईफाई को हैक करके करीब ढाई घंटे तक इंटरनेट चलाया। इस दौरान, वे ने फेक जीमेल अकाउंट बनाने से लेकर फेक फेसबुक अकाउंट तक बनाया।

जब साइबर टीम उस घर पर पहुंची, वहां बुजुर्ग व्यक्ति मिले जो खुद हार्ट पेशेंट थे। पता चला कि उनके दोनों बेटे बाहर पढ़ते हैं। असली आरोपियों की जानकारी पुलिस को नहीं मिली, लेकिन एक सुराग मिला कि फेक अकाउंट बनाने के लिए शातिरों ने उसी वाईफाई का उपयोग किया था, शाम साढ़े सात बजे से रात 10 बजे तक।

अब साइबर टीम ने वाईफाई की रेंज में आने वाले घरों के मोबाइल फोन और सोशल अकाउंट की डिटेल्स खोजना शुरू किया। पुलिस इन शातिर भाइयों पर संदेह कर रही थी। शातिरों ने पुलिस को कहा कि हम ऐसा कोई गंदा काम नहीं करते हैं, लेकिन पुलिस को पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण वे बच गए। लेकिन उसके बाद से पुलिस इन पर नजर रख रही थी।

टेंपरेरी जीमेल आईडी का उपयोग करते थे

जब भी साइबर टीम वाईफाई और आईपी एड्रेस को ट्रेस करती, शातिर कुछ समय के लिए शांत हो जाते थे, और फिर से एक्टिव होकर इसी काम में जुट जाते थे। साइबर सेल के प्रभारी वाहेगुरु सिंह ने बताया कि इस केस को सुलझाना उनके लिए चुनौती बन गया था, लेकिन फिर भी पुलिस ने इन पर नजर रखी रखी थी। शातिर आरोपियों ने फेक आईडी बनाने के लिए टेंपरेरी जीमेल आईडी का उपयोग किया था, जो कुछ ही मिनट में अपने आप हट जाता है। इसे डिस्पोजेबल ईमेल आईडी भी कहा जाता है।

मृत व्यक्तियों के नाम पर लेते थे सिम कार्ड

एक आरोपी जो मोबाइल शॉप में काम करता था, दुकान मालिक के बाहर जाने का समय चुनते हुए मृत व्यक्तियों के नाम पर सिम कार्ड बनवाता था। इन सिम कार्ड का उपयोग व्हाट्सएप चलाने के लिए किया जाता था।

पुलिस को चकमा देने के लिए आरोपी इन सिम के जरिए कभी भी महिला या लड़की को कॉल नहीं करता था, क्योंकि वह जानता था कि कॉल करने पर पुलिस उनकी बीटीएस लोकेशन ट्रेस कर लेगी।

आरोपी इन सिम का इस्तेमाल करने के लिए अलग से मोबाइल फोन रखता था। जिस फोन में सिम इस्तेमाल कर लिया जाता, उसे दोबारा काम में नहीं लिया जाता था।

अलग-अलग दुकानों से रिचार्ज, CCTV कैमरों से दूर रहता था आरोपी

आरोपी यह भी ठीक से जानता था कि पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए कैसे तकनीक अपना सकती है। इसलिए, वह अलग-अलग दुकानों से रिचार्ज करवाता था ताकि वह पुलिस की नजरों से बच सके। उसका ध्यान यहां रहता था कि रिचार्ज केवल उन दुकानों से होता था जिनमें सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा होता था।

हालांकि, अप्रैल 2022 में उसे गलती से ऐसी एक दुकान से रिचार्ज कराया गया, जिसमें सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था। लेकिन पुलिस ने जब कैमरे का डाटा रिकवर किया, तो पता चला कि उस दिन नोहर में बिजली नहीं होने के कारण आरोपी कैमरे में कैद नहीं हुआ था।

दूसरा सुराग: एक गलती पड़ गई भारी

पुलिस के कसते शिकंजे के बाद, आरोपी और भी सतर्क हो गए थे। उन्होंने अपना मोबाइल फोन तबादला कर लिया था। महिला टीचर और उसकी बेटी को बदनाम करने के लिए बनाए गए 48 फेक आईडी सहित अन्य फेक अकाउंट्स को भी हटा दिया था। इस दौरान, साइबर टीम ने उनकी डिवाइस और फेक अकाउंट्स की हिस्ट्री को खंगाला। साइबर सेल को आरोपियों की 2021 की हिस्ट्री मिली। यहां से एक मृत व्यक्ति के नाम पर खरीदी गई सिम का नंबर पुलिस के हाथ लगा।

अभय कमांड सेंटर प्रभारी डॉ. केंद्र प्रताप ने बताया कि आरोपी बीच में किसी काम से लुधियाना गए थे। उस दौरान, उन्होंने उसी सिम कार्ड से अपनी मां, बहन और परिजनों से बात की, जिनको यह वारदात में काम लेते थे।

तीसरा सुराग: वाई-फाई कंपनी से पुलिस को मिला अहम सुराग

आरोपियों ने पब्लिक वाईफाई के साथ ही घरों में लगे वाईफाई को हैक कर वारदात में इस्तेमाल किया था। नोहर में रेडीनेट फाइबर कंपनी ने वाईफाई कनेक्शन दे रखा था। पुलिस ने इस पर डाटा जुटाने के लिए कंपनी से सहारा लिया। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने तीन घरों का वाईफाई हैक किया था। इसके बाद तत्कालीन एसपी डॉ. अजय सिंह ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी साइबर सेल को सौंप दी थी।

चौथा सुराग: सिम कार्ड ने खोले शातिर भाइयों के राज

आरोपी जो महिलाओं को परेशान कर रहे थे, उनके खिलाफ पुलिस ने एक अद्वितीय रणनीति का इस्तेमाल किया। मृतक की पत्नी के नाम से एक नए सिम कार्ड को इश्यू कराया और उसके जरिए आरोपियों द्वारा बनाए गए फेक अकाउंट्स और जीमेल को एक्सेस किया। इस प्रकार, आरोपियों के अपराधों की पर्दाफाश हुई।

अभय कमांड सेंटर प्रभारी केंद्र प्रताप ने बताया कि इस तकनीकी कदम से पुलिस को आरोपियों के खिलाफ महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त हुआ। इसके पश्चात्, पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ और भी बड़े तरीके से साक्ष्य प्राप्त किए हैं, जैसे कि आईपी एड्रेस, लोकेशन, और अन्य आपत्तिजनक तथ्य।

500 महिलाओं की न्यूड फोटो की वायरल

आरोपियों के मोबाइल फोन से हनुमानगढ़ और आस-पास के 4,000 से अधिक महिलाओं और लड़कियों के फोटो मिले हैं। आरोपी ने 500 महिलाओं की फोटो को एडिट करके वायरल कर दिया है। जांच में पता चला है कि आरोपी इन एडिटेड फोटो का उपयोग करके महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उन्हें ब्लैकमेल करते थे। जब महिलाएं इसे मना करती थीं, तो उनकी फोटो को परिचितों और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी जाती थी। चैटिंग के स्क्रीनशॉट से इनके दुष्कर्मी

कॉलेज गर्ल्स को अंग्रेजी में चैट करके प्रभावित करते थे

आरोपी शुरुआत में जेंटलमैन की भूमिका में होकर कॉलेज गर्ल्स को अपने जाल में फंसाते थे। उन्होंने इम्प्रेस करने के लिए अंग्रेजी में चैटिंग का उपयोग किया। वे चैट को “बेबी, कैसी हो?” जैसे शब्दों से शुरू करते थे। दोस्ती को बढ़ाने के लिए, पहले वे तारीफ करते और फिर उनके परिजनों और जीवन के बारे में जानकारी जमा करते थे। इससे उन्हें बाद में उन महिलाओं पर दबाव डालने के लिए उनके परिचितों और परिजनों का सहारा लेने में सहारा मिल सकता था।

इसके बावजूद कि आरोपी आठवीं पास थे, वे जामनगढ़ के मास्टरमाइंड की भूमिका में माहिर हो चुके थे। चैट के दौरान, वे अक्सर खुद को रईस और बड़ा आदमी कहते थे। जब भी कोई महिला या लड़की उन्हें पसंद करती थी, तो आरोपी उसकी पीछे लग जाते थे।