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आगरा में वर्ष 2010 में 9 साल की लड़की राखी अपने छह साल के भाई बबलू के साथ घर से भाग गई थी। वह मां की मार से नाराज थी। 13 साल बाद राखी और बबलू घर लौटे हैं। दोनों बच्‍चों से मिलकर मां की खुशी का कोई अंत नहीं है।

अनिल शर्मा, आगरा: पिछले 13 सालों से झोले में अपने बेटे और बेटी की फोटो और उनकी गुमशुदगी की तहरीर की फोटो कॉपी लेकर घूमने वाली नीतू को आखिरकार गुरुवार दोपहर बिछड़े बेटा-बेटी मिल गए। मां ने बेटे-बेटी को गले लगा लिया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगा। पूरा माहौल बेहद भावुक हो गया। मां की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बच्चों के आते ही मां ने बेटा और बेटी को मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया। उसके बाद आसपास के लोगों को भी मीठा खिलाया।

किसी फिल्मी कथानक की तरह की यह कहानी है आगरा के शाहगंज की नीतू की। उसकी शादी के बाद दो बच्चे हुए, लेकिन पति छोड़कर चला गया। नीतू की दोबारा शादी हुई। दूसरा पति भी मजदूरी करता था। 2010 में वह अपने पति के लिए घर खाना लेने आई तो 9 साल की बेटी राखी घर में बैठी थी। घर बिखरा हुआ था। नीतू ने गुस्से में उसे एक चिमटा मार दिया। इसके बाद राखी अपनी मां से नाराज होकर 6 साल के भाई बबलू को लेकर घर से निकल गई। दोनों आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन से मेरठ आ गए। यहां पर उन्हें जीआरपी मेरठ ने पकड़ लिया। उन्हें बिलासपुर का बता कर मेरठ चाइल्डलाइन के सदस्यों को सौंप दिया। जहां से बाल कल्याण समिति के आदेश पर 18 जून 2010 को सुभारती कल्याण आश्रम भेज दिया गया।

बेंगलुरु में रहता है भाई तो नोएडा में बहन

दो हफ्ते पहले चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस से बेंगलुरु के एक युवक बबलू और गुड़गांव में रह रही एक युवती राखी ने संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वह दोनों आगरा के रहने वाले हैं। 13 साल पहले घर से निकले थे अब पता याद नहीं है। परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है पर परिवार के पास जाना चाहते हैं। युवती ने अपनी मां की गर्दन पर जलने का निशान बताया। मां और बाप के नाम को लेकर भी वह आश्वस्त नहीं थे। इसके बाद नरेश पारस ने मेरठ में संपर्क किया। वहां से जानकारी ली तो रिकॉर्ड में दोनों का पता बिलासपुर मिला। मध्य प्रदेश के बिलासपुर में जानकारी की, लेकिन वहां कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

वीडियो कॉल पर कराई बात

बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने बताया कि जब दोनों आगरा से गए थे तो लड़की 9 और लड़का 6 साल का था उन्होंने आगरा के गुमशुदा प्रकोष्ठ के अजय कुमार से मदद की उन्होंने जगदीशपुर के पास किराए पर रहने वाली महिला का नाम पता पुलिस को बताया। पुलिस की मदद से उन्होंने महिला नीतू को खोज निकाला। नीतू ने बताया था कि उसने दोनों बच्चों को बहुत खोजा लेकिन कोई पता नहीं चला। थाने में भी उसने बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बच्चों की फोटो और गुमशुदगी की तहरीर की फोटो कॉपी वह हमेशा अपने साथ रखती थी। जब उसे मालूम हुआ कि उसके बच्चे मिल गए हैं तो उसका कलेजा फट पड़ा। मंगलवार को नरेश पारस ने नीतू की उसके दोनों बच्चों से वीडियो कॉल पर बात कराई तो वह फूट-फूट कर रोने लगी। तभी से नीतू अपने बच्चों बेटी के आने का इंतजार कर रही थी। मां ने बताया कि उसे उम्मीद थी कि एक दिन दोनों घर लौट आएंगे।

पूजा की थाली लेकर किया बच्‍चों का इंतजार

नरेश पारस ने बताया कि गुरुवार को दोनों बच्चे आगरा आ गए। बेटी राखी रात को ही आ गई थी और बेटे बबलू को नरेश पारस नीतू के घर लेकर पहुंचे। मां को पहले से ही जानकारी दे दी थी। इसलिए वह पूजा की थाली लेकर अपने बेटे और बेटी का इंतजार कर रही थी। जैसे ही दोनों घर पर आए मां उनसे लिपटकर भाव विह्वल हो रोने लगी और बेटे से कहने लगी कि ‘तू दीदी के साथ क्यों चला गया था, मेरे जिगर के टुकड़े मेरे गले से लग जा।’